Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -07-Jan-2023 संघर्ष

जो जिया सौ बार सोच कर जिया,

 फिर क्यों  हर बार हार का विष पिया।
ना दिल तोड़ा सिर्फ जोड़ा,
 मां पिता ईश्वर से प्रेम का नाता नहीं था, थोड़ा।
फिर क्यों मजबूर होकर,
 फैसला मृत्यु का हुआ।
इस फैसले का फैसला,
 क्या कायर बन कर लिया।

 मैं मौत से भी डरा नहीं,
 तो दुख संकट हार में क्यों खड़ा नहीं।
 यह आधे जीवन का फैसला,
 अपने साथ अपने प्यारों को भी दुख में धकेलना। 

मैं नहीं हूं नाकारा
हूं बहुत की आंखों का तारा।
जीवन का यह फैसला,
 मैंने अपनी रूह में उतारा।

अब संघर्ष में आनंद होगा,
 सफलता का सूरज मेरे घर आंगन होगा। यह फैसला सजनी के साजन का होगा,
 मां पिता बहन भाई मित्र के प्यारे का होगा। जीवन का हर क्षण,
मन अक्ल से सोचे फैसले से ही प्यारा होगा।

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7 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Sushi saxena

08-Jan-2023 07:56 PM

शानदार

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Renu

08-Jan-2023 04:52 PM

👍👍🌺

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